तुम्हे मतलब नही
किसीभी चीज से
मैं जीऊ या मरू इस बात से भी नही
खैर, इतना निर्दयी कसाई भी नही हुआ है
मेरे चौक का
जितना तुम हो गये हो
इतना बेपरवाह वो पहाड़ नही है
जिसके तरफ सुबह-सवेरे खिड़की खोलकर
तुम देखती हो
दो-चार मिनट एकटक
हाँ, बेशक तुम शून्य में नही जीती हो
लेकिन मुझे लेकर
तुम इतनी अवचेतन हो गयी हो क्यो !
- रवीन्द्र भारद्वाज
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआरोप गंभीर हैं पर वो कोई भी सफ़ाई नहीं देने वाली !
जवाब देंहटाएं