मंगलवार, 1 अक्तूबर 2019

तुम कुछ कहती तो

तुम आती तो
एक बात होती

मैं बुलाता तो 
दूसरी

तुम कुछ कहती तो 
एक बात के सौ मतलब निकलते

मैं कुछ कहू तो 
निर्रथक

- रवीन्द्र भारद्वाज


2 टिप्‍पणियां:

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सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...