अफसोस कि तुम मुझे हारते देखते रहे
सबसे पहले तुमने ही हराया था मुझे
अपनी दूरियों के जाल को मुझपर फेककर
और जमाना तो हार का मोहताज नही
वो तो जीत का ही जश्न मनाता फिरता है
किसीको हारते देखना
और खुद हारना
दो अलग बातें है
अगले को देखकर गुस्सा आता है
और खुदपर तो बहुत गुस्सा।
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 17 सितम्बर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपका आपका सह्दय 🙏
हटाएंवाह!!बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंकिसीको हारते देखना
जवाब देंहटाएंऔर खुद हारना
दो अलग बातें है
वाह!!!
क्या बात...बहुत खूब।
बहुत खूब
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