गुरुवार, 5 अगस्त 2021

न जाना दूर कभी

अब जो आये हो 
इतने करीब
न जाना दूर
कभी।

कभी
हमसे अलग होने का ख्याल
न लाना 
दिल में।

क्योंकि
इश्क़ होने में 
मुद्दत लगता है 
और बिछड़ने में 
घड़ी भर का समय।

~ रवीन्द्र भारद्वाज

सोमवार, 2 अगस्त 2021

हमारा प्यार

समन्दर उतना गहरा नही 
जितना गहरा हमारा प्यार है !

सात पुस्त की दुश्मनी भले ही आज बरकरार है
मगर गहरे पाताल से भी गहरा हमारा प्यार है !

~ रवीन्द्र भारद्वाज

रविवार, 28 फ़रवरी 2021

भोर की ट्रेन से

वो चली गयी 
भोर की ट्रेन से 
हँसते-हँसते

इसबार
उसे थोड़ा सा ही रोना आया 

वरना 
पहले
रोती थी वो 
सुबक-सुबक के 

इसबार गम नही 
खुशी लेकर गयी है
मुम्बई।

रेखाचित्र व कविता ~ रवीन्द्र भारद्वाज

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

न जाने किसकी नजर लगी

तुम मेरी थी 
तब 
जब हम झूठ नही बोला करते थे 

साफ-सुथरी बातों पर
तुम्हारे
हम फिदा थे 

लेकिन न जाने किसकी नजर लगी 
हमारी दोस्ती को 
कि तुम साजिश रचने लगी
हमारे खिलाफ।

~ रवीन्द्र भारद्वाज

शनिवार, 20 फ़रवरी 2021

तुम रूठे

तुम रूठे 
मेरा जग रूठ गया 

मेरी दुनिया मे दरअसल,
बहुत कम लोग है 
इसलिए
अपने आप मे, मैं टूट गया

हमारे प्यार की पतंग 
अनन्त आसमान में 
निर्रथक ही 
गुम हो गई है 
अब

- रवीन्द्र भारद्वाज

रविवार, 3 जनवरी 2021

जिसे दुआओं में माँगा

जिसे दुआओं में माँगा
वो मिला नही 
खैर , छोड़ो , अब कोई गीला नही !

एक रास्ते पर वो चले थे 
दूसरे पे हम 
दरअसल, वो रास्ता ही कही मिला नही।

- रवीन्द्र भारद्वाज

बुधवार, 16 दिसंबर 2020

मुझे खुदपर तरस आता है

मुझसे पूछो 
कैसा हूँ 

गैर तो गैर ठहरे 
उन्हें क्यों बताऊ अपनी हालत 

मुझे खुदपर तरस आता है
कभी-कभी
कि मैं खिंचा ही क्यों गया 
अवचेतन होकर
तुम्हारे प्रेम के गहरे लाल समंदर मे...

- रवीन्द्र भारद्वाज

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...