गुरुवार, 16 दिसंबर 2021

ऐ जिंदगी !

कभी शिकायत थी तुमसे

ऐ जिंदगी !

अब नही है...


जीने का जुनून था 

कुछ कर गुजरना खून में था

तकलीफ भी कम तकलीफ देती थी 

तब।


अब

अपने पराये को 

ताक पर रखकर जीते हैं

जबसे 

डसा हैं 

तुमनें 

अपना भी बनाकर

और पराया भी बनाकर...


कभी प्रणय भी था 

ऐ जिंदगी !

तुमसे।


- रवीन्द्र भारद्वाज

6 टिप्‍पणियां:

  1. मन के एहसासों को बयां करती सुंदर कृति ।

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  2. मन के अहसासों को बयान करती पंक्तियाँ...

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  3. बहुत ही मार्मिक और हृदयस्पर्शि रचना!
    एक एक पंक्ति दर्द को बयां कर रहीं हैं...!

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