वृद्ध आदमी
अपना अतीत देखता है
पानी की रवानी संग
बहता हुआ
दरअसल
अपने लंगोटिया यारों को
यही फूक-तापकर
अस्थियां
बहाई थी उसने
कभी
इसी पानी में
जाने कब भेंट होगा
उनसे
यही सोच रहा है
वृद्ध आदमी
एकटक पानी की रवानी को देखता हुआ।
- रवीन्द्र भारद्वाज
Nice....Vishal Maurya😀
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भाई
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआभार आपका🙏सादर
हटाएंजाने कब भेंट होगा
जवाब देंहटाएंउनसे
यही सोच रहा है
वृद्ध आदमी
एकटक पानी की रवानी को देखता हुआ।
अत्यंत गहरी और हृदयस्पर्शि बात कही आपने कविता के माध्यम से!
बहुत ही मार्मिक रचना...
जी अत्यंत आभार आपका 👍
हटाएंबहुत सुन्दर रचना रविन्द्र जी।
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