सोमवार, 20 सितंबर 2021

मैं हमेशा तुम्हें खुश देखना चाहता हूँ


 तेरे चुप रहने से

मेरा मन संशय में रहता हैं

होंठो पर 
जब नही खिंचती हँसी की लकीर
सोचता हूँ 
कि कुछ तो गलत कर दिया हैं मैंने।

मैं हमेशा तुम्हें खुश देखना चाहता हूँ
और खुशियां ही खुशियां भेट करना चाहता हूँ 
तुमको।

 _रवीन्द्र भारद्वाज_

3 टिप्‍पणियां:

  1. होंठो पर
    जब नही खिंचती हँसी की लकीर
    सोचता हूँ
    कि कुछ तो गलत कर दिया हैं मैंने।
    प्रेम की पराकाष्ठा...
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर।

    जवाब देंहटाएं

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