प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
शनिवार, 28 सितंबर 2019
सोमवार, 16 सितंबर 2019
अफसोस कि
अफसोस कि तुम मुझे हारते देखते रहे
सबसे पहले तुमने ही हराया था मुझे
अपनी दूरियों के जाल को मुझपर फेककर
और जमाना तो हार का मोहताज नही
वो तो जीत का ही जश्न मनाता फिरता है
किसीको हारते देखना
और खुद हारना
दो अलग बातें है
अगले को देखकर गुस्सा आता है
और खुदपर तो बहुत गुस्सा।
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
गुरुवार, 5 सितंबर 2019
बुधवार, 28 अगस्त 2019
एक तेरे न होने से साथ मेरे
तुम मुझे नही भूले तो
हम तुम्हे भी नही भूले
भूलना
कब्र पर मिट्टी डालने जैसा होता है
तुम्हारी यादों से सुबह होती है मेरी
और
उसी भीनी-भीनी खुश्बू में
डूब जाती है शामें मेरी
दिन के उजाले में
दुनिया मायावी लगती है
लेकिन रात के अंधरे में
मुरझाया गुलाब
एक तेरे न होने से साथ मेरे
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
सोमवार, 26 अगस्त 2019
तुम एक रूठी नदी हो
मुझपे जो बीती उससे तुमको क्या !
दरअसल, कतिपय सह्दयता भी नही तुम्हारे अंदर
तुम एक रूठी नदी हो
जो यह बतलाती फिरती है- मेरा किसीसे कोई सरोकार नही
यहाँतक कि मुझसे भी नही
जबकि तुमको छाँव देता ही रहता हूँ
किनारों पर खड़े रहकर तुम्हारे
पेड़ों सा
मेड़ो सा बिछकर बताता रहता हूँ
यह अपने हिस्से का है
वो गैर
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
शुक्रवार, 23 अगस्त 2019
बुधवार, 21 अगस्त 2019
दो राहें पर मिले हम।
दो राहें पर मिले हम।
हम अब कुछ कह नही सकते
लेकिन बहुत कुछ सह सकते है
सह भी चुके है
न आगे जाने की जिद है
न पीछे मुड़ जाने की ख्वाहिश
फैसले लेने में असमर्थ मालूम पड़ते है हम
अब न जाने क्यों !
एक रास्ता घर को जाता है
दूसरा मैखाने के तरफ
लेकिन आज घर जाने से पहले
मैखाने के तरफ बढ़ते चले जा रहे है कदम..
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
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