प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
गुरुवार, 30 मई 2019
बुधवार, 29 मई 2019
मंगलवार, 28 मई 2019
रविवार, 26 मई 2019
गुरुवार, 23 मई 2019
पापा ! आज घर जल्दी आना !
पापा ! आज घर जल्दी आना
तुमने कहा था न हम घूमने चलेंगे
तुमने ये भी कहा था हम आइसक्रीम खायेंगे
और ख़रीदोंगो वो रेलगाड़ी
जो गोल-गोल घूमती है
अरे वही जो पेंसिल सेल से चलती है
पापा ! आज घर जल्दी आना
मैं क्या पहन के चलूंगा तुमने पूछा था न
मम्मी ने धो दिया है वो जीन्स टी शर्ट
और तुम्हारे आने से पहले ही वो सुख जायेगा
पापा ! प्लीज प्लीज आज घर जल्दी आना।
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
मंगलवार, 21 मई 2019
बिन बाबा के
बिन बाबा के
बेटी
ना ब्याही जाये
बाबा के शिवाय
कोई बेटी को विदा ना कर पाये
बिन बाबा से गले मिले
बेटी से चौखट पार ना हो पाये
बाबा की कांपती हथेलियां
आशीष देंने के लिए उसके सर पर रुके
रुकते कदम बेटी का
फिरसे आगे बढ़ते जाये
बाबा का आशीर्वाद
जनम-जनम तक फले-फुलाए
बेटी के घर
बिन बाबा के
बेटी
ब्याही ना जाये।
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
तुमको भूल ना पायेंगे
तुमको भूल ना पायेंगे
भूलकर तुम्हें
कहाँ जायेंगे
मेरी हरेक नादानी पर हँसना जी खोलकर
मेरी हरेक बेपरवाही का परवाह करना चुप रहकर
नही भुला पायेंगे
तुमको भूल ना पायेंगे
क्योंकि किस्मत को आजमाने किस-किस दर जायेंगे
जहाँ भी जायेंगे मुझे ही पायेंगे हुजूर
- मेरी बेरुखी सी बातों को सुनकर कहती थी तुम
इसलिए
हम कोई और दरवाजा नही खटखटायेंगे
तुमको भूल ना पायेंगे
और हाँ, भूलकर तुम्हें
कहाँ जायेंगे।
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
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