रविवार, 26 मई 2019

फिरभी

किसी उम्मीद की उंगली पकड़कर चलता हूँ 
तेरे साथ-साथ 

जबकि साथ मुकम्मल भी नही है
फिरभी 

फिरभी 
तेरी हरेक बेपरवाही का परवाह करता हूँ 

यार ! तू तो भूल गया होगा मुझसे पहले
मेरे प्यार को 
लेकिन आजभी मैं तुम्हें प्यार से ही, प्यार करता हूँ।

कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

चित्र - गूगल से साभार

2 टिप्‍पणियां:

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