तुमको भूल ना पायेंगे
भूलकर तुम्हें
कहाँ जायेंगे
मेरी हरेक नादानी पर हँसना जी खोलकर
मेरी हरेक बेपरवाही का परवाह करना चुप रहकर
नही भुला पायेंगे
तुमको भूल ना पायेंगे
क्योंकि किस्मत को आजमाने किस-किस दर जायेंगे
जहाँ भी जायेंगे मुझे ही पायेंगे हुजूर
- मेरी बेरुखी सी बातों को सुनकर कहती थी तुम
इसलिए
हम कोई और दरवाजा नही खटखटायेंगे
तुमको भूल ना पायेंगे
और हाँ, भूलकर तुम्हें
कहाँ जायेंगे।
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
बहुत खूब ....
जवाब देंहटाएंमार्मिकता से भरपूर रचना प्रिय रविन्द्र जी |
जवाब देंहटाएं