मंगलवार, 21 मई 2019

बिन बाबा के

बिन बाबा के 
बेटी 
ना ब्याही जाये 

बाबा के शिवाय 
कोई बेटी को विदा ना कर पाये 

बिन बाबा से गले मिले
बेटी से चौखट पार ना हो पाये 

बाबा की कांपती हथेलियां 
आशीष देंने के लिए उसके सर पर रुके

रुकते कदम बेटी का 
फिरसे आगे बढ़ते जाये 

बाबा का आशीर्वाद 
जनम-जनम तक फले-फुलाए
बेटी के घर

बिन बाबा के
बेटी
ब्याही ना जाये।

कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

चित्र - गूगल से साभार

3 टिप्‍पणियां:

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