रविवार, 29 दिसंबर 2019

एकबार कहा होता


एकबार कहा होता
'मुझे जाना है 
तुम्हे छोड़कर..'

तो मैं तुम्हे जाने देता 
बड़े शौक से

लेकिन 
तुम तो बिना कुछ बताये चल दिए 
आसमान को 
छूने 

जबकि मैं तो तुम्हारा पहाड़ था न 

- रवीन्द्र भारद्वाज

गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

तुम होते तो..

तुम होते तो 
एक अलग सा मौसम होता है
फ़िजा में

नदियाँ नाचती
और पेड़ झूमते 

आसमान कुछ कहता 
और धरती बहुत कुछ सुनती


- रवीन्द्र भारद्वाज

गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

आखिर, क्यों !

तुमने मुझसे वो मांगा 
जो मैं दे नही सकता था
फिरभी दिया

मेरा सबकुछ लेने के बाद 
लौटना भूल गई 

कभी याद दिलाया तो 
तुमको बहुत गुस्सा आया

आखिर, क्यों !


- रवीन्द्र भारद्वाज

मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

तो अच्छा होता !

जाने से पहले कुछ कह के जाती 
तो अच्छा होता !

एक बार गले लगाके जाती
तो अच्छा होता !

कोई बात हमारी
अपने दाँतो तले दबा के जाती
तो अच्छा होता !

नही कुछ तो 
कम से कम 
मुस्कुराके जाती 
तो कितना अच्छा लगता 
तेरा जाना !


- रवीन्द्र भारद्वाज

शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

मुझे लेकर

तेरे जज्बातों के साये में काटनी थी 
ताउम्र
पर एक उम्र के बाद 
तेरे ख्यालात बदल गए 
मुझे लेकर

मुझे लेकर 
जिस तीव्र गति से चली थी तुम 
लगता था आसमान के पार जाकर ही रुकेंगे।

कहते है 
राख के नीचे शोले दबे होते है
मगर वो दिखते नही 
और ना ही वो गर्मी प्रदान करते है
कुछ ऐसे ही हम भी रुके है तुम्हारे पास 
ठिठुरते हुए।


~ रवीन्द्र भारद्वाज

सोमवार, 25 नवंबर 2019

महज नाम की मोहब्बत

निगाहों में 
तुम्हारी सूरत रही
और बाहो में मेरी जरूरत

हम घर से निकले तो थे 
बहुत दूर
पर 
नजदीकियों में समेट लिया तुमने मुझे 

ऐसे जैसे हम होते तो है 
आमने-सामने 
एक-दूसरे के 
लेकिन
रुके-रुके से कदम बढ़ाते है 

जैसे अबकी गले मिलना पड़ेगा 
वरना दम तोड़ देगी 
महज नाम की मोहब्बत।

- रवीन्द्र भारद्वाज

मंगलवार, 5 नवंबर 2019

एक नाव और एक नदी

एक नॉव थी 
एक नदी थी 

दोनों का रिश्ता आत्मीय था

अचानक से एक तूफान आया 
और नॉव डूब गई 

नदी खुदको माफ नही करती 
क्योंकि वो 
उसी में डूबा था 

और नॉव धंसकर भी 
नदी के छाती में 
धन्य समझता था 
खुदको 


- रवीन्द्र भारद्वाज


सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...