प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
मंगलवार, 5 नवंबर 2019
रविवार, 20 अक्टूबर 2019
नदियाँ सबकी होती है
एक नदी जो मेरे लिए ही बहती थी
निर्वाण के रास्ते पर चल दी है
जबकि नदियाँ सबकी होती है
और किसीकी भी नही होती है
उसका मेरा रिश्ता इतना पावन है कि
जैसे एक-दूसरे को छूना भी पाप है
लेकिन सबकुछ यू खत्म हुआ
जैसे सुनामी में वो बहती चली जा रही हो
अपनी मर्जी से
और मैं बेबश खड़ा
देखता रहा हूँ
उसे।
~ रवीन्द्र भारद्वाज
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2019
तुम्हे मतलब नही
तुम्हे मतलब नही
किसीभी चीज से
मैं जीऊ या मरू इस बात से भी नही
खैर, इतना निर्दयी कसाई भी नही हुआ है
मेरे चौक का
जितना तुम हो गये हो
इतना बेपरवाह वो पहाड़ नही है
जिसके तरफ सुबह-सवेरे खिड़की खोलकर
तुम देखती हो
दो-चार मिनट एकटक
हाँ, बेशक तुम शून्य में नही जीती हो
लेकिन मुझे लेकर
तुम इतनी अवचेतन हो गयी हो क्यो !
- रवीन्द्र भारद्वाज
शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2019
मंगलवार, 1 अक्टूबर 2019
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