प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
रविवार, 11 अगस्त 2019
शुक्रवार, 9 अगस्त 2019
सोमवार, 5 अगस्त 2019
शुक्रवार, 2 अगस्त 2019
मंगलवार, 30 जुलाई 2019
गुरुवार, 25 जुलाई 2019
नही भागना मुझे !
चलो भाग चलते है कही..
बहुत घुट-घुटकर जिया हमने
बहुत खयाल रख लिया
अपनो का भी
लोगो का भी
लोग कह रहे है -
जमाना बदल रहा है
विजातीय शादी-विवाह शहरों
और गाँवो में भी हो रहा है
बड़े ही धूमधाम से
लेकिन नही
बस कहने में हो रहा है ऐसा
हाँ, बस तुम ना बदलना
या मुझे छोड़ परदेस में अकेला
ना भाग जाना
ऐसा होता है बहुत ज्यादा
परदेस में
लेकिन बाबू की याद आयेगी
अम्मा मना लेगी हिया को
लेकिन भईया का गुस्सा
नही बाबा नही भागना मुझे !
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
बुधवार, 24 जुलाई 2019
दिल खोलकर हँसता हूँ कि
दिल खोलकर हँसता हूँ
कि सब गम चिड़ियों के झुंड की तरह उड़ जाये
लेकिन एक-दो ऐसी भी चिड़िया है
जो जँगले पे
मेरे दिल के
घर बनाकर रहने लगी है
उन्हें उड़ाना भी नही बनता मुझसे
ना ही दाना खिलाना
सुबह-शाम वो इतना खुश होकर चहकती है कि
मेरी नींद, मेरा चैन दरकने लगता है
खण्डहर वाले मकान में आये झंझावात से गिरने ही वाली दीवार की तरह
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
सोचता हूँ..
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...

-
बड़े ही संगीन जुर्म को अंजाम दिया तुम्हारी इन कजरारी आँखों ने पहले तो नेह के समन्दर छलकते थे इनसे पर अब नफरत के ज्वार उठते हैं...
-
सघन जंगल की तन्हाई समेटकर अपनी बाहों में जी रहा हूँ कभी उनसे भेंट होंगी और तसल्ली के कुछ वक्त होंगे उनके पास यही सोचकर जी रहा हूँ जी ...
-
तुम्हें भूला सकना मेरे वश में नही नही है मौत भी मुकम्मल अभी रस्ते घर गलियाँ गुजरती है तुझमें से ही मुझमे ...