प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
रविवार, 3 मार्च 2019
शनिवार, 2 मार्च 2019
प्रणय मेरा अभिशाप बना
प्रणय मेरा अभिशाप बना
ना जी ही पाता हूँ
ना मर ही पाता हूँ
ठीक से
लाख कोशिशों के बावजूद
मैं इससे मुक्त भी नही हो पाया हूँ
गोधूली बेला में
वह पायल छनकाती
रातरानी की ख़ुशबू उड़ाती
आ ही जाती हैं
मेरे कमरे में
उसकी शीतल स्पर्श के बावजूद
आग धधकती रहती हैं
तन-मन में
खाबो-ख्यालो से ढका मेरा जीवन
बस उसकी ही गोद में अंतिम सांस लेना चाहता हैं
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
शुक्रवार, 1 मार्च 2019
गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019
जबसे मैं तुमसे बिछड़ गया
तुम बिल्कुल नही बदली
वही ढंग मुस्कुराने का
वही संगदिली रखती हो तुम अबभी
अबभी परायेपन का आग नही सुलगा
तुम्हारे अंदर
जानता हूँ
तुम्हारे साथ क्या कुछ नही गुजरी हैं
अबभी तबियत खराब रहती होंगी न तुम्हारी
फिरभी जिन्दगी को खुलकर जीती हो
इतनी कि किसीको भनक तक न लगे
कि तुम्हें कितना दर्द होता हैं
जबसे मैं तुमसे बिछड़ गया
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
बुधवार, 27 फ़रवरी 2019
विसर्जित कर आया मैं
विसर्जित कर आया मैं
तेरा दिया सबकुछ
लाखो बार
देखने पर
देख लिया करते थे
बेमन ही
एक-दो बार
वो नजर
तुम्हें पाने की चाहत धरे
जेब में रूपए-पैसे की तरह
भटकते वहाँ
जहाँ एक्का-दुक्का ही गये होंगे तुम
वो आवारगी
मुझसे बोलने-बतियाने के लिए
तुम्हें फुर्सत कब थी
जबकि मेरी पूरी जिन्दगी प्यार की
फुर्सत से तुम्हें सोचने
सराहने में गुजरी हैं
वो फुर्सत
तालाब पर
जैसे कागज की नाँव तैर रही हो
हजारो बातें सोच-सोचकर
लिखा करता था
आधी रात में
तुम्हारे अनुपस्थिति में
अपने गहरे एकांकीपन में
वो प्रेम-पत्र
सोचता था
किसीदिन यु भी होंगा
तुम्हारी नजर प्यार से उठेंगी मेरी तरफ
पंछी के तरह फडफडाते हुए
आ लिपटोगी
मेरे सीने से
वो सोच
विसर्जित कर आया मैं
वो सबकुछ
जिसका न होना
तय था
बहुत पहले से
वो होने न होने की वजह
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019
जो होना होता हैं

जो होना होता हैं
वो कैसे भी होता हैं
और जो नहीं होना होता हैं
वो कैसे भी नही होता हैं
लेकिन
जो करना होता हैं
कर लेना चाहिए
एक आध बार
तकदीर से लड़ लेना चाहिए
ताकि कोई कसर ना रह जाये कल को
कहने में
अरे.....हमने तो......
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
सोमवार, 25 फ़रवरी 2019
मुस्कुराता रहूँगा
रास्तें याद रहेंगे
बातें इन्ही वादी में गूंजेंगी
मुस्कान ख़ुशबू की तरह
बिखरी पड़ी
मिलेंगी
तुम्हारी
इतनी खुबसुरत हो यार तुम
कि
अप्सराओं को भी तुमसे जलन हो जाये
इतनी खुशियाँ हैं लबो पे तुम्हारे
कि
सदियों मैं सोच-सोच ये
कि
कैसे मुस्काई थी तुम उसदिन
मुझे देखकर
मुस्कुराता रहूँगा
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
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