तुम बिल्कुल नही बदली
वही ढंग मुस्कुराने का
वही संगदिली रखती हो तुम अबभी
अबभी परायेपन का आग नही सुलगा
तुम्हारे अंदर
जानता हूँ
तुम्हारे साथ क्या कुछ नही गुजरी हैं
अबभी तबियत खराब रहती होंगी न तुम्हारी
फिरभी जिन्दगी को खुलकर जीती हो
इतनी कि किसीको भनक तक न लगे
कि तुम्हें कितना दर्द होता हैं
जबसे मैं तुमसे बिछड़ गया
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंजी बहुत-बहुत आभार.....आदरणीया
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसादर
जी बहुत-बहुत आभार.....आदरणीया
हटाएंखूब .... रूमानी भावों की गहरी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार......आदरणीय
हटाएं