शुक्रवार, 1 मार्च 2019

उन्हें देखकर

उन्हें देखकर यूं लगा 
मुद्दत बाद करार मिल गया 

वादी में 
भुला-बिसरा नगमा मोहब्बत का गूंज गया 

मुझे याद हैं 
कबके मिले कबके बिछड़े हैं हम 

उनसे मिलते 
उम्र तमाम मिल गया 

रेखाचित्र व गजल - रवीन्द्र भारद्वाज

4 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 01/03/2019 की बुलेटिन, " अपने अभिनंदन के अभिनंदन की प्रतीक्षा में देश “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. ब्लॉग बुलेटिन में यह रचना संकलित करने के लिए आभार
      सादर

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