गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

मान लो !


 मान लो 

दो आदमी और एक औरत थी 


दोनो आदमी 

उसी एक औरत पर आकर्षित थे 


आकर्षण के विषय में

जितना मुझे ज्ञान है 

बताता हूँ

- कुशलता और काबिलियत के अनुसार 

उसने पहले को रिझाया

और दूसरे को जलन था 

कि वह पहले पर ही क्यों मरती है


सारे साधन व तरकीब दूसरे ने लगाया 

अन्ततः, दूसरा उस औरत को पाया 

उतना ही खुशमिजाज जितना पहले को मिली थी 

कभी


हकीकत में , मैं नही जान पाया आजतक 

कि वह पहले को मिली

या दूसरे को 

समर्पित होकर।


मान लो 

यह एक झूठी कहानी हो सकती है 

या फिर हकीकत भी 

मैं ठीक-ठीक नही बता पाउँगा।


- रवीन्द्र भारद्वाज


सोमवार, 30 नवंबर 2020

वो और बात थी

वो और बात थी
जब तुम थी यहाँपर

यहाँ पर 
हरियाली थी
धूप था
और मन्द-मन्द बहता पवन था

कसमे थी 
वादे थे 
और ना थकने वाला इरादा था
तुमको लेकर

यहाँपर शोर था 
शरारत थी 
और कभी न खत्म होनेवाली बातचीत थी 
हमारे-तुम्हारे बीच

वो और बात थी 
जब तुम थी यहाँपर

- रवीन्द्र भारद्वाज

 

शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

यह नफरत है !

वो प्यार था
जिसके लिए 
हम मरते थे 

यह नफरत है
जिसके लिए
हम जीते है

~ रवीन्द्र भारद्वाज

 

शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

रविवार, 24 मई 2020

तुम जो नही कहते

जो तुम नही कहते 
वही सुनता रहता हूँ 

एक घायल ह्दय लेकर 
तुमको ढूढ़ता फिरता हूँ 

माना कि ये मर्ज लाइलाज है 
मगर मयखाने लौटकर अच्छा महसूस करता हूँ।

~ रवीन्द्र भारद्वाज

शनिवार, 16 मई 2020

वो जहाँ भी रहे

वो जहाँ भी रहे 
खुश रहे 

क्योंकि
जबतक मैं उसके प्यार मे था 
अंधेरे में भी उजाला नजर आता था 

क्योंकि
जबतक मुझे उसका इंतजार था 
तबतक उम्मीद नजर आती था

क्योंकि
जबतक वो दहलीज़ों को लांघती रही 
कुछ कर गुजरने का जज्बा था 
इस दिल के अंदर

इस दिल के अंदर आखिर
उसके प्यार का समंदर 
मचलता था 

अनायास ही छलक भी जाता था 
उसके प्यार का समंदर

खैर, वो जहाँ भी रहे
खुश रहे

~ रवीन्द्र भारद्वाज


शुक्रवार, 6 मार्च 2020

किसीका इंतजार करना

तेरे संग जो पल गुजरा 
वो कैद है अबभी
इस दिल मे 

इस दिल मे 
अबभी बजती है शहनाई
तुम्हारे प्रीत की 

हाँ, तुम लौटे नही फिर 
वरना एहसास तुमको भी हो जाता
कि काँटो पर चलने जैसा होता है 
किसीका इंतजार करना।

-- रवीन्द्र भारद्वाज --

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...