वो जहाँ भी रहे
खुश रहे
क्योंकि
जबतक मैं उसके प्यार मे था
अंधेरे में भी उजाला नजर आता था
क्योंकि
जबतक मुझे उसका इंतजार था
तबतक उम्मीद नजर आती था
क्योंकि
जबतक वो दहलीज़ों को लांघती रही
कुछ कर गुजरने का जज्बा था
इस दिल के अंदर
इस दिल के अंदर आखिर
उसके प्यार का समंदर
मचलता था
अनायास ही छलक भी जाता था
उसके प्यार का समंदर
खैर, वो जहाँ भी रहे
खुश रहे
~ रवीन्द्र भारद्वाज
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 17 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंवो जहां भी रहे खुश रहे।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति .. 💐💐
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 06 अगस्त 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंखैर, वो जहाँ भी रहे
जवाब देंहटाएंखुश रहे///////////
दुआ ही प्रेम की अभिव्यक्ति का सबसे सुंदर सोपान है |