रविवार, 24 मई 2020

तुम जो नही कहते

जो तुम नही कहते 
वही सुनता रहता हूँ 

एक घायल ह्दय लेकर 
तुमको ढूढ़ता फिरता हूँ 

माना कि ये मर्ज लाइलाज है 
मगर मयखाने लौटकर अच्छा महसूस करता हूँ।

~ रवीन्द्र भारद्वाज

3 टिप्‍पणियां:

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...