प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
शुक्रवार, 6 मार्च 2020
शनिवार, 1 फ़रवरी 2020
बुधवार, 22 जनवरी 2020
हम तुमसे प्रेम जारी रख सकते है
तुम्हारे गाँव से उड़ते आ रहे पंछी
गोधूलि बेला
मन को सहसा याद दिलाये कि
तमाम पाबन्दियों के बावजूद
हम तुमसे प्रेम जारी रख सकते है
हम तुम्हारे आसमान में
इन्ही पंछी सरीखे
उड़ सकते है
उड़ते रहे है आखिर
एक सदी तक
एक सदी के बाद ही
बदला है वही सब
जो बदलाव तुम देखना चाहती थी।
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
गोधूलि बेला
मन को सहसा याद दिलाये कि
तमाम पाबन्दियों के बावजूद
हम तुमसे प्रेम जारी रख सकते है
हम तुम्हारे आसमान में
इन्ही पंछी सरीखे
उड़ सकते है
उड़ते रहे है आखिर
एक सदी तक
एक सदी के बाद ही
बदला है वही सब
जो बदलाव तुम देखना चाहती थी।
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
रविवार, 29 दिसंबर 2019
गुरुवार, 26 दिसंबर 2019
गुरुवार, 19 दिसंबर 2019
मंगलवार, 17 दिसंबर 2019
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
सोचता हूँ..
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...

-
कभी शिकायत थी तुमसे ऐ जिंदगी ! अब नही है... जीने का जुनून था कुछ कर गुजरना खून में था तकलीफ भी कम तकलीफ देती थी तब। अब अपने पराये को ताक ...
-
तेरे चुप रहने से मेरा मन संशय में रहता हैं होंठो पर जब नही खिंचती हँसी की लकीर सोचता हूँ कि कुछ तो गलत कर दिया हैं मैंने। मैं हमेशा तुम्ह...
-
सघन जंगल की तन्हाई समेटकर अपनी बाहों में जी रहा हूँ कभी उनसे भेंट होंगी और तसल्ली के कुछ वक्त होंगे उनके पास यही सोचकर जी रहा हूँ जी ...