प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
बुधवार, 16 दिसंबर 2020
मुझे खुदपर तरस आता है
गुरुवार, 3 दिसंबर 2020
मान लो !
दो आदमी और एक औरत थी
दोनो आदमी
उसी एक औरत पर आकर्षित थे
आकर्षण के विषय में
जितना मुझे ज्ञान है
बताता हूँ
- कुशलता और काबिलियत के अनुसार
उसने पहले को रिझाया
और दूसरे को जलन था
कि वह पहले पर ही क्यों मरती है
सारे साधन व तरकीब दूसरे ने लगाया
अन्ततः, दूसरा उस औरत को पाया
उतना ही खुशमिजाज जितना पहले को मिली थी
कभी
हकीकत में , मैं नही जान पाया आजतक
कि वह पहले को मिली
या दूसरे को
समर्पित होकर।
मान लो
यह एक झूठी कहानी हो सकती है
या फिर हकीकत भी
मैं ठीक-ठीक नही बता पाउँगा।
- रवीन्द्र भारद्वाज
सोमवार, 30 नवंबर 2020
वो और बात थी
शुक्रवार, 13 नवंबर 2020
शुक्रवार, 14 अगस्त 2020
शाम ढले
शाम ढलेएक दिया जलता है
उस दिए को
देखकरएक उम्मीद जगती है
उस दिए की लौह की तरह ही
मेरी प्रीत भी जलती होगीकहीं पर
- ~ 🖋️ रवीन्द्र भारद्वाज
रविवार, 24 मई 2020
शनिवार, 16 मई 2020
वो जहाँ भी रहे
सोचता हूँ..
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...
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कभी शिकायत थी तुमसे ऐ जिंदगी ! अब नही है... जीने का जुनून था कुछ कर गुजरना खून में था तकलीफ भी कम तकलीफ देती थी तब। अब अपने पराये को ताक ...
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तेरे चुप रहने से मेरा मन संशय में रहता हैं होंठो पर जब नही खिंचती हँसी की लकीर सोचता हूँ कि कुछ तो गलत कर दिया हैं मैंने। मैं हमेशा तुम्ह...
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मुझे बादलों के उस पार जाना है तुम चलोगी क्या ! साथ मेरे मुझे वहाँ आशियाँ बनाना है हाथ बटाओगी क्या ! मेरा वहाँ.. अगर चलती तो साथ मिलकर ब...