वो जहाँ भी रहे
खुश रहे
क्योंकि
जबतक मैं उसके प्यार मे था
अंधेरे में भी उजाला नजर आता था
क्योंकि
जबतक मुझे उसका इंतजार था
तबतक उम्मीद नजर आती था
क्योंकि
जबतक वो दहलीज़ों को लांघती रही
कुछ कर गुजरने का जज्बा था
इस दिल के अंदर
इस दिल के अंदर आखिर
उसके प्यार का समंदर
मचलता था
अनायास ही छलक भी जाता था
उसके प्यार का समंदर
खैर, वो जहाँ भी रहे
खुश रहे
~ रवीन्द्र भारद्वाज