प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
गुरुवार, 19 दिसंबर 2019
मंगलवार, 17 दिसंबर 2019
शुक्रवार, 29 नवंबर 2019
मुझे लेकर
तेरे जज्बातों के साये में काटनी थी
ताउम्र
पर एक उम्र के बाद
तेरे ख्यालात बदल गए
मुझे लेकर
मुझे लेकर
जिस तीव्र गति से चली थी तुम
लगता था आसमान के पार जाकर ही रुकेंगे।
कहते है
राख के नीचे शोले दबे होते है
मगर वो दिखते नही
और ना ही वो गर्मी प्रदान करते है
कुछ ऐसे ही हम भी रुके है तुम्हारे पास
ठिठुरते हुए।
~ रवीन्द्र भारद्वाज
सोमवार, 25 नवंबर 2019
मंगलवार, 5 नवंबर 2019
रविवार, 20 अक्टूबर 2019
नदियाँ सबकी होती है
एक नदी जो मेरे लिए ही बहती थी
निर्वाण के रास्ते पर चल दी है
जबकि नदियाँ सबकी होती है
और किसीकी भी नही होती है
उसका मेरा रिश्ता इतना पावन है कि
जैसे एक-दूसरे को छूना भी पाप है
लेकिन सबकुछ यू खत्म हुआ
जैसे सुनामी में वो बहती चली जा रही हो
अपनी मर्जी से
और मैं बेबश खड़ा
देखता रहा हूँ
उसे।
~ रवीन्द्र भारद्वाज
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