प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
शुक्रवार, 23 अगस्त 2019
बुधवार, 21 अगस्त 2019
दो राहें पर मिले हम।
दो राहें पर मिले हम।
हम अब कुछ कह नही सकते
लेकिन बहुत कुछ सह सकते है
सह भी चुके है
न आगे जाने की जिद है
न पीछे मुड़ जाने की ख्वाहिश
फैसले लेने में असमर्थ मालूम पड़ते है हम
अब न जाने क्यों !
एक रास्ता घर को जाता है
दूसरा मैखाने के तरफ
लेकिन आज घर जाने से पहले
मैखाने के तरफ बढ़ते चले जा रहे है कदम..
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
मंगलवार, 20 अगस्त 2019
तू मेरा नही तो क्या
तू मेरा नही तो क्या
मेरा हुआ करता था तू भी कभी
कभी मेरे बाजुओं में दम तोड़ने की आरजू थी तुम्हारी
नदी सरीखी बहने का इरादा था तुम्हारा
मेरे अंदर
कभी न गुजरनेवाले पूर्णरूप से मेघ की तरह
तुम चलते रहना चाहती थी हमेशा
मेरे ऊपर से
समुन्दर के किनारे लेटकर
खिली धूप में
गॉगल्स में से देखने की एक-दूसरे की इच्छा तो
अधूरी रह गयी।
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
शुक्रवार, 16 अगस्त 2019
बुधवार, 14 अगस्त 2019
मंगलवार, 13 अगस्त 2019
जबसे तुम्हे मिल गया कोई
तूने रास्ते बदले
कसमे तोड़े
वादों को ताक पर रखा मेरे
जबसे तुम्हे मिल गया कोई
कोई मुझसे ज्यादा तुम्हे चाहने लगा
यकीन नही होता
याद करो
मैने तुम्हे जीना सिखाया था
हजार नाउम्मीदी में
हँसना सिखाया
तुम्हारे बेहिसाब हालातो के गरीबी में
मै हर मोड़ पर जिंदगी के तुम्हारे
कवच जैसे खड़ा रहा
दुनिया के जहरीले तीरो और बरछी से बचाने के लिए
तुम्हे
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
रविवार, 11 अगस्त 2019
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सोचता हूँ..
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...

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तुम्हें भूला सकना मेरे वश में नही नही है मौत भी मुकम्मल अभी रस्ते घर गलियाँ गुजरती है तुझमें से ही मुझमे ...