मंगलवार, 13 अगस्त 2019

जबसे तुम्हे मिल गया कोई

तूने रास्ते बदले 
कसमे तोड़े 
वादों को ताक पर रखा मेरे
जबसे तुम्हे मिल गया कोई

कोई मुझसे ज्यादा तुम्हे चाहने लगा 
यकीन नही होता 

याद करो 
मैने तुम्हे जीना सिखाया था 
हजार नाउम्मीदी में 

हँसना सिखाया
तुम्हारे बेहिसाब हालातो के गरीबी में 

मै हर मोड़ पर जिंदगी के तुम्हारे
कवच जैसे खड़ा रहा
दुनिया के जहरीले तीरो और बरछी से बचाने के लिए
तुम्हे 

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

3 टिप्‍पणियां:

  1. मन की भीषण वेदना का भावपूर्ण शब्दांकन प्रिय रविन्द्र जी |
    मुहब्बत की किस्मत में लिखा है मिलके जुदा होना
    नहीं तो हीर होती रांझे की - लैला को मजनूँ मिल जाता !!!!!!

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सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...