प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
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गुरुवार, 23 मई 2019
पापा ! आज घर जल्दी आना !
पापा ! आज घर जल्दी आना
तुमने कहा था न हम घूमने चलेंगे
तुमने ये भी कहा था हम आइसक्रीम खायेंगे
और ख़रीदोंगो वो रेलगाड़ी
जो गोल-गोल घूमती है
अरे वही जो पेंसिल सेल से चलती है
पापा ! आज घर जल्दी आना
मैं क्या पहन के चलूंगा तुमने पूछा था न
मम्मी ने धो दिया है वो जीन्स टी शर्ट
और तुम्हारे आने से पहले ही वो सुख जायेगा
पापा ! प्लीज प्लीज आज घर जल्दी आना।
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
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