रविवार, 2 जून 2019

जिस तन को लगे वही जाने

 
पलको पे सजाके रखा था 
तुम्हें 
क्या तुम्हे इसका एहसास नही 

तुम जिसे दिल से दबाये रखी हो 
उसका एहसास तो होगा न तुम्हे
बहोत 

खैर छोड़ो जिस तन को लगे वही जाने 
क्या होता है प्यार, जज्बात, एहसास से हासिल दर्द

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज


4 टिप्‍पणियां:


  1. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (03-06-2019) को

    " नौतपा का प्रहार " (चर्चा अंक- 3355)
    पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है


    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अत्यंत आभार आदरणीया इस रचना को चर्चामंच में स्थान देने के लिए
      सादर

      हटाएं

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