शनिवार, 1 जून 2019

कवि की क्या जिंदगी !

कवि की क्या जिंदगी !

बस यू समझ लीजिए
जैसे रवि जलता है अपने से लिपटी आग में 

ठीक उसी तरह कवि जलता है 

लेकिन गम की परायी आग में

कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

चित्र - गूगल से साभार


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