प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
शुक्रवार, 5 अप्रैल 2019
गुरुवार, 4 अप्रैल 2019
बुधवार, 3 अप्रैल 2019
जरूरी था
जरूरी था के हम तुम कुछ बात कर लेते
राज जो दिल में दबा रखा था हमने
जरूरी था उसका खुलना..
आरज़ू नही बचें
ना कोई ख्वाहिश रही
जबसे तुम फिसल गये
मेरे आस-पास से
काई पर पड़ते ही पैर की तरह
बेबस है
लाचार हो गई हैं जिन्दगी
किसी एक के ना मिलने के वजह से
नाहक ही
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
मंगलवार, 2 अप्रैल 2019
औरत ना होती तो
औरत ना होती तो
प्यार ना उपजा होता मर्द के अंदर
नदियाँ ना होती तो
सागर रेगिस्तान की तरह तपता रहता
ह्दय में पीड़ा का मंथन ना होता तो
कोई क्यों सृजता कविता !
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
सोमवार, 1 अप्रैल 2019
गेंहू की फ़सल पक गई
गेंहू की फ़सल पक गई
धूप भी गुस्से में रहने लगा है
नदियों का गला सूखता जा रहा है
बच्चे, बुढ्ढे अपना शर्ट, कुर्ता
उतार रखने लगें है
अलगनी पर
स्कूल की छुट्टियाँ कब होंगी..
यही बात
कक्षा दर कक्षा घुमती हुई
भटक जा रही है
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
रविवार, 31 मार्च 2019
मेरी तरह वो भी
घर सुनसान हो जाता हैं
जब बच्चें अपने पढने चले जाते हैं
उनके जाते ही
घर के कोने-अतरे में जाकर छिप जाती हैं
चंचलता
मेरी तरह वो भी उनके लौटने का इन्तजार करते हैं..
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
शुक्रवार, 29 मार्च 2019
एक आँसू की कीमत तुम क्या जानों !
एक आँसू की कीमत तुम
क्या जानों !
जब दर्द सम्हालें नही
सम्हलता हैं
तो आ ही जाता हैं
आँसू
बाहर
बाहर
आकर भी
आंसू
अगर दर्द को न समझा
पाये
अपना
अपनों को
तो बेकार ही समझों
हैं अपनों की संवेदना !
कविता
– रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र
– गूगल से साभार
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