गेंहू की फ़सल पक गई
धूप भी गुस्से में रहने लगा है
नदियों का गला सूखता जा रहा है
बच्चे, बुढ्ढे अपना शर्ट, कुर्ता
उतार रखने लगें है
अलगनी पर
स्कूल की छुट्टियाँ कब होंगी..
यही बात
कक्षा दर कक्षा घुमती हुई
भटक जा रही है
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
वाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंजी सह्दय आभार.....
हटाएंVery nice. . ...
जवाब देंहटाएंThank you so much
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंजी सह्दय आभार आदरणीया
हटाएंह्दयतल से आभार आदरणीय
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय सादर
हटाएं