घर सुनसान हो जाता हैं
जब बच्चें अपने पढने चले जाते हैं
उनके जाते ही
घर के कोने-अतरे में जाकर छिप जाती हैं
चंचलता
मेरी तरह वो भी उनके लौटने का इन्तजार करते हैं..
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...
बचपन से मस्त चंचल कुछ भी नहीं मैं भी इनके लौटने का इंतजार करता हूं
जवाब देंहटाएंबचपन की अल्हड़ता और चंचलता का क्या कहना
हटाएंसह्दय आभार आदरणीय
bahut khoob bro .....i miss my childhood
जवाब देंहटाएंThanks brother.
हटाएं.. childhood is the best part of our life
बढ़िया
जवाब देंहटाएंउनके जाते ही
घर के कोने-अतरे में जाकर छिप जाती हैं
चंचलता
जी सह्दय आभार आदरणीया
हटाएंसह्दय आभार आदरणीय
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया सादर
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