औरत ना होती तो
प्यार ना उपजा होता मर्द के अंदर
नदियाँ ना होती तो
सागर रेगिस्तान की तरह तपता रहता
ह्दय में पीड़ा का मंथन ना होता तो
कोई क्यों सृजता कविता !
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...
वाह बहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंजी अत्यंत आभार आपका
हटाएंऔरत ना होती तो और कुछ न होता ,जीवन कोरा कागज होता ,क्योंकि उसके बिना सृष्टि की कल्पना करना मुश्किल है
जवाब देंहटाएंजी बिल्कुल सत्य
हटाएंबेहतरीन सवाल
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया सादर
हटाएंब्लॉग बुलेटिन में इस रचना को जगह देने के लिए आभार आदरणीय सादर
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