मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

औरत ना होती तो

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औरत ना होती तो 
प्यार ना उपजा होता मर्द के अंदर 

नदियाँ ना होती तो 
सागर रेगिस्तान की तरह तपता रहता 

ह्दय में पीड़ा का मंथन ना होता तो 
कोई क्यों सृजता कविता !

कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

चित्र - गूगल से साभार 

7 टिप्‍पणियां:

  1. औरत ना होती तो और कुछ न होता ,जीवन कोरा कागज होता ,क्योंकि उसके बिना सृष्टि की कल्पना करना मुश्किल है

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  2. ब्लॉग बुलेटिन में इस रचना को जगह देने के लिए आभार आदरणीय सादर

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