रविवार, 14 जुलाई 2019

तू जो लौटा होता

तू जो लौटा होता 
पाया होता बदला हुआ मुझे

जबकि बदलाव मुझमे न था 
-तुम कहती थी

तुम्हारे साथ रहते नही बदला 
रत्तीभर

लेकिन तुम्हारे जाने के बाद 
मैं इतना बदल गया हूँ कि
अगर कोई मेरे ही नाम से मुझे पुकारता है तो 
किसी दूसरे शक्स को पुकारने की आवाज सुनाई देती है मुझे !

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार, जुलाई 16, 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. इस रचना को "पाँच लिंको का आनंद" में साझा करने के लिए आभार आपका आदरणीया सादर 🙏

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  2. वाह ... ऐसा एहसास जो प्रेम के एहसास कोकई गुना कर दे ...

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  3. वाह बहुत खूब..सुंदर रचना।

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  4. प्रेम में ऐसा होता है अक्सर....
    बहुत सुन्दर।..
    वाह !!!

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  5. ऐ नादान आशिक़ ! तू अब तू नहीं रहा, तेरा अपना वुजूद भी नहीं रहा. अब तू उसमें समा गया है.

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