रविवार, 3 जनवरी 2021

जिसे दुआओं में माँगा

जिसे दुआओं में माँगा
वो मिला नही 
खैर , छोड़ो , अब कोई गीला नही !

एक रास्ते पर वो चले थे 
दूसरे पे हम 
दरअसल, वो रास्ता ही कही मिला नही।

- रवीन्द्र भारद्वाज

बुधवार, 16 दिसंबर 2020

मुझे खुदपर तरस आता है

मुझसे पूछो 
कैसा हूँ 

गैर तो गैर ठहरे 
उन्हें क्यों बताऊ अपनी हालत 

मुझे खुदपर तरस आता है
कभी-कभी
कि मैं खिंचा ही क्यों गया 
अवचेतन होकर
तुम्हारे प्रेम के गहरे लाल समंदर मे...

- रवीन्द्र भारद्वाज

गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

मान लो !


 मान लो 

दो आदमी और एक औरत थी 


दोनो आदमी 

उसी एक औरत पर आकर्षित थे 


आकर्षण के विषय में

जितना मुझे ज्ञान है 

बताता हूँ

- कुशलता और काबिलियत के अनुसार 

उसने पहले को रिझाया

और दूसरे को जलन था 

कि वह पहले पर ही क्यों मरती है


सारे साधन व तरकीब दूसरे ने लगाया 

अन्ततः, दूसरा उस औरत को पाया 

उतना ही खुशमिजाज जितना पहले को मिली थी 

कभी


हकीकत में , मैं नही जान पाया आजतक 

कि वह पहले को मिली

या दूसरे को 

समर्पित होकर।


मान लो 

यह एक झूठी कहानी हो सकती है 

या फिर हकीकत भी 

मैं ठीक-ठीक नही बता पाउँगा।


- रवीन्द्र भारद्वाज


सोमवार, 30 नवंबर 2020

वो और बात थी

वो और बात थी
जब तुम थी यहाँपर

यहाँ पर 
हरियाली थी
धूप था
और मन्द-मन्द बहता पवन था

कसमे थी 
वादे थे 
और ना थकने वाला इरादा था
तुमको लेकर

यहाँपर शोर था 
शरारत थी 
और कभी न खत्म होनेवाली बातचीत थी 
हमारे-तुम्हारे बीच

वो और बात थी 
जब तुम थी यहाँपर

- रवीन्द्र भारद्वाज

 

शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

यह नफरत है !

वो प्यार था
जिसके लिए 
हम मरते थे 

यह नफरत है
जिसके लिए
हम जीते है

~ रवीन्द्र भारद्वाज

 

शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

रविवार, 24 मई 2020

तुम जो नही कहते

जो तुम नही कहते 
वही सुनता रहता हूँ 

एक घायल ह्दय लेकर 
तुमको ढूढ़ता फिरता हूँ 

माना कि ये मर्ज लाइलाज है 
मगर मयखाने लौटकर अच्छा महसूस करता हूँ।

~ रवीन्द्र भारद्वाज

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...