प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
शनिवार, 29 जून 2019
गुरुवार, 27 जून 2019
मंगलवार, 25 जून 2019
रविवार, 23 जून 2019
शनिवार, 22 जून 2019
बुधवार, 19 जून 2019
उड़ जाओ परिंदों
उड़ जाओ परिंदों
बहेलिया हमी लोगों के बीच बैठा है
तुम फर्क नही कर पाओगे कि
कौन यहाँ चोर है और कौन साहू
शक की कोई गुंजाइश ही नही उठती
फिर तो
इंसानो में दरिंदगी इतनी पली-बढ़ी है कि
अभीभी मानव का आदिम होने का ही आभास होता है
नृशंसता और बर्बरता का जमाना गया नही है
जरा सोचिए तो
कितनी सभ्यताएं हम लांघ चुके है
फिरभी सभ्य हुए है हम कितने !
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
सोमवार, 17 जून 2019
इंतजार
दिनभर दरवाजा खुला रहता है
लगभग आधी रात को बंद होता है
वह उठती है सुबह-सवेरे
और सोती है देर रात-अंधेरे
उसमे कर्तव्यपरायणता इस कदर समा गई है कि
भूल गई है खुदको सँवारना
कि कैसे किशोरावस्था में सजने संवरने में खूब मन लगता था उसका
और घूमने की बात छिड़ते ही
वह खुश हो जाती थी खुली खिड़की सी
दरअसल, वो घर से निकले ही नही की
इंतजार की सुर छेड़ देती है उसकी अंतरात्मा
कभी-कभी यू भी होता है कि
वो घर मे सो रहे होते है
और वह किसी इंतजार में गुम रहती है
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
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