शनिवार, 22 जून 2019

काश ! तू मेरा होता

काश ! तू मेरा होता 
मैं जमाने को यह कहकर छोड़ती कि 
मुझे अब किसी और की जरूरत नही।

तेरे साथ जीती-मरती 
तेरे बाजुओं में दम तोड़ती
काश ! मेरे प्यार पर तनिक भी तुमको भरोसा होता 

मैं लड़-झगड़ लेती सबसे 
सबसे बैर लेकर भी 
खुश रहती
तेरे साथ 
काश ! तू मेरा हमराही होता।

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज


1 टिप्पणी:

  1. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

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