प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
बुधवार, 12 जून 2019
सोमवार, 10 जून 2019
शनिवार, 8 जून 2019
ठहरना नही है
तुम आये थे यही सोचकर
ठहरना नही है
वरना
बैठकर
आधेक घण्टे
बतियाते
मेरे अतिथि-सत्कार का लुत्फ उठाते जरूर
पता नही तुम क्या देखने आये थे
मुझे
या यह घर
जो कभी हमारा अपना हुआ करता था
सबकुछ बिखरा-बिखरा भी देखकर
सजाकर करीने से रखना भी
उचित ना समझा
मेरा और तुम्हारा विगत चार वर्ष
तलाक़ के बाद के
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
गुरुवार, 6 जून 2019
मंगलवार, 4 जून 2019
बीते दिनों में
बीते दिनों में
कुछ-कुछ तुम बची हो
कुछ-कुछ हम बचे है
बाकी सब नदारद हो चुका है
चंचल चितवन
रुई के फाहे सी नर्म बातें
इक्का-दुक्का अनायास हुई मुलाकातें
चौक
गली
मन्दिर
और पगडण्डी
टूटे-फूटे खण्डहर से दिखते है
कहाँ तुम बस गयी हो
कि इधर कभी आना ही नही हुआ
तुम्हारा
और कहाँ मैं हु कि
दूर-दूर तक दिखाई ही नही देती
तुम।
रेखचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
रविवार, 2 जून 2019
शनिवार, 1 जून 2019
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सोचता हूँ..
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...

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बड़े ही संगीन जुर्म को अंजाम दिया तुम्हारी इन कजरारी आँखों ने पहले तो नेह के समन्दर छलकते थे इनसे पर अब नफरत के ज्वार उठते हैं...
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सघन जंगल की तन्हाई समेटकर अपनी बाहों में जी रहा हूँ कभी उनसे भेंट होंगी और तसल्ली के कुछ वक्त होंगे उनके पास यही सोचकर जी रहा हूँ जी ...
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तुम्हें भूला सकना मेरे वश में नही नही है मौत भी मुकम्मल अभी रस्ते घर गलियाँ गुजरती है तुझमें से ही मुझमे ...