उसने मुझे दिल से ऐसे निकाला कि
मुझे पता भी नही चला कि
मैं उसके दिल से निकाला जा चुका हूँ
बाहर
उसने कभी बताया ही नही
कि तुम मुझे पसंद नही
या मेरी पसंद कोई और है
उसने कभी विरोध भी नही की
कि तुम अच्छे नही लगते मुझे
फिर क्या वजह रही हो
ऐसा करने का मेरे साथ
उससे पूछता हूँ
तो बात तक करने से कतराती है
मन मसोस कर रह जाता हूँ
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार