नन्ही चिड़िया खिड़की की सरिया पर बैठ
अंदर झाँक रही है कि
क्या हो रहा है यहाँ
मशीनों के शोर से उसके कान के पर्दे फट रहे है
यहाँ की जहरीली गैस उसकी नजरों को धूमिल कर रही है
वह शायद दाने के तलाश में यहाँ आ पहुंची है
और उड़ भी गई
मेरा ध्यान उसपर से हटते
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
गहराई लिये सरल सुंदर ।
जवाब देंहटाएंजी अत्यंत आभार आपका
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंजी अत्यंत आभार आपका
हटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंजी अत्यंत आभार आपका
हटाएंसुंदर 👏 👏
जवाब देंहटाएंआभार जी आपका
हटाएं🙏🙏🙏