प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019
बुधवार, 13 फ़रवरी 2019
मंगलवार, 12 फ़रवरी 2019
इश्क़ में जो सितम हो कम हैं
इश्क़ में
जो सितम हो
कम हैं
रास्ते में है
और जान को जोखिम हैं
फिरभी कोई गम नही हैं
चाहता तो बहुत हूँ
उसपार चला जाऊ
पर अकेले
इश्के सड़क पार करना
नामुमकिन हैं
तुम हाथ हिला दो
मेरे ह्दय को बहला दो
कम से कम
इस बेसहारा को
सहारा मिल जायेगा
आंधी-तूफ़ान से चलते
बसों, ट्रको
और लोगो के बीच
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
सोमवार, 11 फ़रवरी 2019
रविवार, 10 फ़रवरी 2019
तुम्हारा ख्याल सुबहो-शाम हैं
तुम्हारा ख्याल सुबहो-शाम
हैं
लब पे तुम्हारा नाम
और हाथो के लकीरों में
फिरभी तुम नहीं.
तुम नही
समन्दर सरीखी
कि मेरी प्रेम की नईयां आप पार लग जाये
मैंने मदद मांगी थी
खुदा से
कि तुम्हे मुझसे मिलवा दे
पर उसने तिनके जितना भी मदद करना
ऊचित न समझा.
मैं एकांकी नहीं
फिरभी एकांकीपन बड़ी शिद्दत से
महसूसता हूँ
कि केवल तुम्ही तो नही मिलें
जबकि मिलने को आकुल रहती थी तुम
मुझसे.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
शनिवार, 9 फ़रवरी 2019
ऋतुराज ! कहो कुछ आज !
ऋतुराज ! कहो कुछ आज !
आज मन फीका-फीका सा हैं
हवा में रिक्तता सा हैं
वो आज झल्लाई नही मुझपर क्योंकर
हैरान हूँ घर लौटकर
घर पर ढेरो काम हैं
पर एक काम को छूने से पहले
लग रहा हैं मैं बीमार हो गया हूँ
इतना कि
उठा नही जा रहा हैं
बोला नही जा रहा हैं
किसीसे कुछ बताना भी नही बन रहा हैं..
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019
तुम्हारे बगैर
तुम्हारे बगैर
मेरा जीना
क्या जीना !
हवा को पीना
जहरीले साँप की तरह
ऐसे भी जीना
क्या जीना !
बासंती हुई समग्र पृथ्वी
मेरा चाँद फिरभी
चमकना नही चाहता
ये कैसी हाथापाई हुई
इश्क़ से कि
जान बसने नही देता
प्राण निकलने नही देता
तुम्हारे बगैर
मेरा जीना
क्या जीना !
जो ओझल हैं नजरो से
वो नदी किनारे बैठता हैं
सुबहो-शाम
एकबार देखा था बरसों पहले
लगता हैं
वो वही हैं
मोती जैसे अपने नौकरों-चाकरों से
निकलवाने के लिए
मुझे
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
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