प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
मंगलवार, 22 जनवरी 2019
रविवार, 20 जनवरी 2019
शनिवार, 19 जनवरी 2019
तू हैं
मेरी नजर जहाँतक जाती हैं
वहाँतक तू हैं
मैं जहाँतक सोच पाता हूँ
उसकी आखिरी पायदान तू हैं
तूने जैसे रंग भर दिया हो
दसों दिशाओं में
बेसबब,बेमतलब का भी रंग का दुशाला ओढ़े
तू हैं
इस
चुभोती सी सर्द मौसम में
ह्दय में आग धधकाती
तू हैं
बसंत की हरियाली बिछाती
मेरे प्रथम प्रणय पथ में
तू हैं
तू हैं मेरे सामीप्य तो
दुःख मुझसे कातर हैं
किन्तु दूर होने लगो तो
साँसों में अड़चन सी होने लगती हैं
जीवन
ग्रीष्म की दुपहरी हो जाती हैं
और रातें
पलानी से चुति आधी रात की बरसाती रात.
देखो घर-गृहस्थी शुरू करने से पहले
ऐसा करते हैं
मिल लेते हैं
हाँ, सही सूना, मिल लेते हैं
क्या पता हम साथ-साथ शुरू करना चाह रहे हो
...अपना घर-गृहस्थी.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
शुक्रवार, 18 जनवरी 2019
गुरुवार, 17 जनवरी 2019
गाँव में डर समा गया हैं
![]() |
गूगल से साभार |
कही कोई बात तो हैं
जो मुझे सोने नही देती ठीक से
गाँव में
डर समा गया हैं
कोई किसीका हालचाल लेने से भी कतराता हैं
जबसे हरखू का
घर जला हैं
भय की आग में जल रहा हैं हरकोई
किसने जलाया
क्यों जलाया
ये हरखू को भी नही पता
उड़ती-उड़ती बात सुनी हैं
हरखू की बेटी शादी लायक हो चुकी हैं
और वह दिन-रात एक करके
एक-एक पैसा जोड़ रहा था
उसे ब्याहने के लिए
लेकिन चौधरी का बेटा
सूना हैं घूरता रहता हैं उसको बहुत
शायद यही कारण पर्याप्त हैं
उसका घर जल जाने के लिए|
- रवीन्द्र भारद्वाज
बुधवार, 16 जनवरी 2019
सोमवार, 14 जनवरी 2019
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