बुधवार, 26 दिसंबर 2018

नामुमकिन था

Art by Ravindra Bhardvaj
ट्रेन का रुकना 
नामुमकिन था

नामुमकिन था
वैसे ही
तुम्हें भी रोक पाना
- रवीन्द्र भारद्वाज


मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

चाँद उतर रहा है

Art by Ravindra Bhardvaj 


चाँद उतर रहा है
चाँदनी की सीढ़ी लगाकर
मेरे अंगना में।

मैं खोई खोई सी रहती हू
आजकल कुछ ज्यादा ही
शायद इसीलिये आया है मुझे अपना पता ठिकाना बताने।
- रवीन्द्र भारद्वाज 

सोमवार, 24 दिसंबर 2018

कम-स-कम

Art by Ravindra Bhardvaj
साथी ! 
मानांकि 
हम मिल नही सकते 

एक-दुसरे के 
लबो को 
चूम नही सकते 

पर 
गिले-शिकवे 
मिटा सकते है 
बात करके 

ऐसी चुप्पी क्यू साधना 
तिल-तिल के 
लील जाये
जो 
तुमको 
हमको,
कम-स-कम 
हाय..
गुडमार्निंग 
कैसे हो..
पूछ लिया करो..
यारा !
- रवीन्द्र भारद्वाज 

रविवार, 23 दिसंबर 2018

वो मुस्कान

Art by Ravindra Bhardvaj
पहली मिलन पर 
खिली चेहरे पर तुम्हारे मुस्कान 
आज भी महकती है 
मानांकि वो फूल नही 
फिरभी 
महकती है..

मेरी आत्मा तक में 
समाई है 
उसकी खुश्बू 

दूसरा मिलन 
अभी हुआ नही 
वरना 
वो मुस्कान 
बिखर जाती 
गमगीन हुए हवा में.
- रवीन्द्र भारद्वाज 

शनिवार, 22 दिसंबर 2018

हवा और समय

Art by Ravindra Bhardvaj
जब हवा चलती है 
तुम्हारे साथ होने का एहसास होता है 

जब हवा रुक जाती है 
तुम्हारे गुम हो जाने का एहसास होता है 

जब-जब गुजरता हूँ 
गाँव के इकलौते पुराने पीपल के पेड़ के नीचे से 
तुम्हारे गुनगुनाने का आवाज़ सुनता हूँ 

हवा 
और समय 
तुम्हारे मीत है 

जब चाहो भेज देती हो 
जब चाहो बुला लेती हो.
- रवीन्द्र भारद्वाज 


शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018

उसकी प्रतीक्षा में

Art by Ravindra Bhardvaj
ओढ़नी
लाल रंग की 
सुबह की 

ओढ़नी
सफेद रंग की 
दोपहर की 

ओढ़नी
काली 
सांझ की 

सुबह से 
दोपहर 

दोपहर से 
शाम हो गई

और मैं उसकी प्रतीक्षा में 
प्रेमी से 
कवि बनता जा रहा हूँ.
- रवीन्द्र भारद्वाज 

गुरुवार, 20 दिसंबर 2018

ये दिल ! क्यू प्यार करे !

Art by Ravindra Bhardvaj
बेपरवाह प्यार के सहारे 
कोई कबतक जीए

मरना तो सबको हैं एकदिन 
जीते जी 
फिर क्यू मरे !

उस प्यार में 
दाग है 
जगह-जगह.. 

फिरभी ये दिल !
क्यू प्यार करे !
- रवीन्द्र भारद्वाज

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...