प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
सोचता हूँ..
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...

-
बड़े ही संगीन जुर्म को अंजाम दिया तुम्हारी इन कजरारी आँखों ने पहले तो नेह के समन्दर छलकते थे इनसे पर अब नफरत के ज्वार उठते हैं...
-
सघन जंगल की तन्हाई समेटकर अपनी बाहों में जी रहा हूँ कभी उनसे भेंट होंगी और तसल्ली के कुछ वक्त होंगे उनके पास यही सोचकर जी रहा हूँ जी ...
-
तुम्हें भूला सकना मेरे वश में नही नही है मौत भी मुकम्मल अभी रस्ते घर गलियाँ गुजरती है तुझमें से ही मुझमे ...
वाह छोटी सी रचना भावों से ओतप्रोत।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम।
अत्यंत आभार जी आपका
हटाएंवाह सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार आदरणीया
हटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंजी अत्यंत आभार आदरणीया
हटाएंहमे मुद्दत हुआ एक-दुसरे को देखे ख़ूबसूरती से समझाया !
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय
हटाएं🙏🙏🙏