प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
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सोचता हूँ..
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...
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कभी शिकायत थी तुमसे ऐ जिंदगी ! अब नही है... जीने का जुनून था कुछ कर गुजरना खून में था तकलीफ भी कम तकलीफ देती थी तब। अब अपने पराये को ताक ...
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तेरे चुप रहने से मेरा मन संशय में रहता हैं होंठो पर जब नही खिंचती हँसी की लकीर सोचता हूँ कि कुछ तो गलत कर दिया हैं मैंने। मैं हमेशा तुम्ह...
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मुझे बादलों के उस पार जाना है तुम चलोगी क्या ! साथ मेरे मुझे वहाँ आशियाँ बनाना है हाथ बटाओगी क्या ! मेरा वहाँ.. अगर चलती तो साथ मिलकर ब...
बहुत सुंदर 👌👌
जवाब देंहटाएंआभार जी आपका सादर
हटाएंमन प्रसन्न हुआ रचना पढ़कर !
जवाब देंहटाएंहृदयतल से आभार भाई
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
आभार जी सादर
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 29/04/2019 की बुलेटिन, " अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस - 29 अप्रैल - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन में इस कविता को संकलित करने के लिए आभार आदरणीय सादर
हटाएंबहुत रोचक
जवाब देंहटाएंआज कल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे ...
जवाब देंहटाएंहोता है प्रेम का ये असर ... लाजवाब पंक्तियाँ ...
बिल्कुल सही
हटाएंहृदयतल से आभार आपका आदरणीय
सुंदर पंक्तियां
जवाब देंहटाएंआभार जी सादर
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