जब घर में दुनिया समा जाये
तो वो घर, घर नही रह जाता
जब छोटे बोलने लगे बेहद
बुजुर्गो की बातें कौन सुने तब
रुत होता हैं रार, तकरार का
हर बखत लड़ने-झगड़ने से हल नही निकलता कोई
'गुरुदेव 'की मानों तो
घर में बना लो अगर शांति तो
मन्दिर नही जाना पड़ेगा
सुबहो-शाम
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
बिल्कुल सही कहा रविन्द्र जी कि यदि घर में शान्ति हो तो मंदिर जाने की जरूरत नहीं हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीया
हटाएंबहुत सुंदर .....
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीया
हटाएं"मुखरित मौन में" इस रचना को साझा करने के लिए
जवाब देंहटाएंजी सहृदय आभार आदरणीया
अच्छी है
जवाब देंहटाएंआभार .....आदरणीय सादर
हटाएंबहुत सुन्दर सटीक...
जवाब देंहटाएंवाह!!!
आभार....आदरणीया सादर
हटाएंसटीक और सार्थक बातें ... गौर से सोचो तो कितना कुछ छुपा है इन छोटी बातों में ...
जवाब देंहटाएंजी जरूर...
हटाएंह्दयतल से आभार.... आदरणीय
सुंदर सुविचार ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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