गुरुवार, 31 जनवरी 2019

तेरी याद


1.
तेरी याद क्या हैं ?
एक झूठा दिलासा दिलाता हुआ 
साँझ हैं 

साँझ को 
रात में 
रात को 
सुबह में 
तब्दील हो जाना हैं 


2.
तेरी याद 
चौक पर लहराता 
केशरिया ध्वज हैं 
जब भी मैं सर उठाता हूँ 
जेहन में लहराने लगती हो तुम 


3.
वैसे यादें बहुत खुबसुरत होती हैं 
पर सपना भी तो होता हैं खुबसुरत 

लेकिन सपना का सच होना नामुमकिन हो शायद 
पर यादें सच्ची होती हैं 
और ईमानदार भी.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

बुधवार, 30 जनवरी 2019

न चाहते हुए भी

न चाहते हुए भी 
मैं उससे प्रेम कर रहा हूँ 

न चाहते हुए भी 
मैं उसका इंतजार कर रहा हूँ 

हालांकि 
वो हाथ छुड़ा जबरन 
चल दी थी 
मुद्दत पहले. 

पर न जाने क्यू
अबभी मुझे लगता हैं कि
वो रातों में सोती नही होगी 
ठीक से .

और रोती होगी 
जब-जब उसके छातीं में 
मेरी यादो की ख़ुशबू समाती होंगी.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

मंगलवार, 29 जनवरी 2019

जनाब ये इश्क हैं कुछ और नही

अब तेरी खैर नही 
तुझे अपने ही हरायेंगे कोई गैर नही. 

गुलाब के पंखुड़ी से खुले दो होठ हैं 
बड़ी कातिलाना निकलता उसमें से शोर हैं. 

मुझे इक था तुमपर भरोसा 
भरोसा तोड़ा तुमने ही चलो कोई बैर नही.

दूर हैं मंजिल और सुदूर हैं किनारा 
मझधार में हम-तुम हैं कोई और नही. 

लिखे खत फिर खत हमने फाड़ दिए 
वो पहुचेंगा ही नहीं जब उनके पास. 
(सोच-सोचकर)

गले का फास हैं हमारा प्यार उन सबके लिए 
जिन्हें मालूमात हो गया 
जनाब ये इश्क हैं कुछ और नही. 

हम तुमपे न मरते तो मरता कोई और 
फिर जान निकलती मेरी 
जब-जब प्यार से तकरार करता वो. 

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

सोमवार, 28 जनवरी 2019

कौन ?

मेरी जीवनसंगिनी को समर्पित

तुम मिलते नही तो 
मुझसे मिलता कौन ?

कौन 
दिल को धड़कता

कौन 
मुझपर 
हक जतलाता 

कौन 
घर-
आंगन को 
छनकाता,
महकाता 

कौन 
रातों में 
मेरा पैर दबाता 

और कौन 
अपनी बाहों में 
मुझे सुलाता 

बोलो..
बोलो न 
कौन ?
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

रविवार, 27 जनवरी 2019

तुमपर मरना था

तुमपर 
मरना था 
मर गये 

जीना था 
खुलके 
जिये

लेकिन
प्यार में तुम्हारे 
हम जोगी बने 
फिरते हैं 
जहाँ
तहाँ

तुम 
मन्दिर,
मस्जिद,
गुरुद्वारा 
बन 
बैठे हो 
स्थिर 
मेरे ही गाँव के 
पूरब,
पश्चिम,
दक्खिन ओर.

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

शनिवार, 26 जनवरी 2019

ताजमहल सबसे प्यारा हैं !


बिजली जब कड़कती हैं 
बादल जब गरजता हैं 
ऐसे आलम में 
तुम्हारी बाहों के झूले पर 
लेटकर 
तुमसे बतियाँने को जी चाहता हैं 

जी चाहता हैं 
तुम्हारी बखान किये बगैर 
मैं चुप ना होऊ 
कभी 
लाख चुप कराने पर भी तुम्हारे 

वायलिन सा 
रह-रहके बजता ये संगीत 
आकाश और धरती की आबोहवा में 
डरावना तो हैं तनिक पर 
ध्यान से सुनने पर 
बहुत मधुर लगने लगा हैं 

सफेद रस्सियों सी 
गिर रही हैं 
बुँदे 
देखो 
वो आईना हैं हमारा !

मैं 
तुम 
और ये दुनिया 
तीनो पर 
कोई नियम, क़ानून लागू नही होते 
हाल-फ़िलहाल 

मैं सागर में कूद पडू 
गोखागोर बनके 
और बेसकिमती मोती लाऊ 
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए 

मैं अंतरिक्ष यान बन 
पुरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाना भूलकर 
चाँद, तारे तोड़ लाऊ 
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए 

मैं हवा बन 
पूरी पृथ्वी का सरपट सैर कर
तुम्हे बताऊ 
ताजमहल सबसे प्यारा हैं !

- रवीन्द्र भारद्वाज


चित्र गूगल से साभार 

शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

तुम शायद जानती हो ये

मेरे दर्द की दवा तू हैं 

तुम शायद जानती हो ये 


मैंने सारी दुनिया से बैर लिया 
तुमसे प्रेम करके 

तुम शायद जानती हो ये 


मैं हिंसक पशु था 
हाँ, मैं था हिंसक पशु !

तुम जानती थी बखूबी ये 


मुझे इंसान बना 
भगवान बन बैठे आखिर तुम 

तुमने अपने इस कृत्य पर गौर नही किया 
कभी 
क्यों?

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...