1.
तेरी याद क्या हैं ?
एक झूठा दिलासा दिलाता हुआ
साँझ हैं
साँझ को
रात में
रात को
सुबह में
तब्दील हो जाना हैं
2.
तेरी याद
चौक पर लहराता
केशरिया ध्वज हैं
जब भी मैं सर उठाता हूँ
जेहन में लहराने लगती हो तुम
3.
वैसे यादें बहुत खुबसुरत होती हैं
पर सपना भी तो होता हैं खुबसुरत
लेकिन सपना का सच होना नामुमकिन हो शायद
पर यादें सच्ची होती हैं
और ईमानदार भी.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
तेरी याद क्या हैं ?
जवाब देंहटाएंएक झूठा दिलासा दिलाता हुआ
साँझ हैं
खूबसूरत मन की खूबसूरत अभिव्यक्ति । बहुत-बहुत बधाई आदरणीय रवीन्द्र जी। शुभकामनाएं ।
बहुत-बहुत आभार...... आदरणीय।
जवाब देंहटाएं2.
जवाब देंहटाएंतेरी याद
चौक पर लहराता
केशरिया ध्वज हैं
जब भी मैं सर उठाता हूँ
जेहन में लहराने लगती हो तुम. ..बहुत सुन्दर आदरणीय
सादर
बहुत-बहुत आभार .......आदरणीया सादर
हटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजी बहुत-बहुत आभार........आपका
हटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजी बहुत-बहुत आभार........आदरणीया
हटाएंबहुत-बहुत आभार...... आदरणीय।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
४ फरवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
जी सहृदय आभार.......इस रचना को "पांच लिंकों का आनन्द में" साझा करने के लिए
हटाएंबहुत खूब... सादर नमन
जवाब देंहटाएंजी बहुत-बहुत आभार.......आदरणीया
हटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंपर यादें सच्ची होती हैं
और ईमानदार भी.
जी बहुत-बहुत आभार.... आदरणीया।
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