प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
रविवार, 3 फ़रवरी 2019
शनिवार, 2 फ़रवरी 2019
मुझसे मिलना ये मेरे दोस्त !

मुझसे मिलना
ये मेरे दोस्त !
फुर्सत निकालके
पर तुम्हे तो फुर्सत ही नही
कि
कभी तुम भी जाहिर करो
मिलने का मन
व्यस्तता की फ़सल लहलहा रही हैं
देखो
हर तरफ
हर घर, कुल, समाज
यहांतक कि गाँव भी व्यस्तता में मग्न हैं
उस बरगद के तरफ कोई थूकता नही
जिस बरगद के नीचे चौपाले बिछती थी
बातों-बातों में
सुबह-शाम गुजर जाती थी
हमारे बाप, ददाओ की.
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
चित्र - गूगल से साभार
शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019
गुरुवार, 31 जनवरी 2019
तेरी याद
1.
तेरी याद क्या हैं ?
एक झूठा दिलासा दिलाता हुआ
साँझ हैं
साँझ को
रात में
रात को
सुबह में
तब्दील हो जाना हैं
2.
तेरी याद
चौक पर लहराता
केशरिया ध्वज हैं
जब भी मैं सर उठाता हूँ
जेहन में लहराने लगती हो तुम
3.
वैसे यादें बहुत खुबसुरत होती हैं
पर सपना भी तो होता हैं खुबसुरत
लेकिन सपना का सच होना नामुमकिन हो शायद
पर यादें सच्ची होती हैं
और ईमानदार भी.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
बुधवार, 30 जनवरी 2019
न चाहते हुए भी
न चाहते हुए भी
मैं उससे प्रेम कर रहा हूँ
न चाहते हुए भी
मैं उसका इंतजार कर रहा हूँ
हालांकि
वो हाथ छुड़ा जबरन
चल दी थी
मुद्दत पहले.
पर न जाने क्यू
अबभी मुझे लगता हैं कि
वो रातों में सोती नही होगी
ठीक से .
और रोती होगी
जब-जब उसके छातीं में
मेरी यादो की ख़ुशबू समाती होंगी.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
मंगलवार, 29 जनवरी 2019
जनाब ये इश्क हैं कुछ और नही
अब तेरी खैर नही
तुझे अपने ही हरायेंगे कोई गैर नही.
गुलाब के पंखुड़ी से खुले दो होठ हैं
बड़ी कातिलाना निकलता उसमें से शोर हैं.
मुझे इक था तुमपर भरोसा
भरोसा तोड़ा तुमने ही चलो कोई बैर नही.
दूर हैं मंजिल और सुदूर हैं किनारा
मझधार में हम-तुम हैं कोई और नही.
लिखे खत फिर खत हमने फाड़ दिए
वो पहुचेंगा ही नहीं जब उनके पास.
(सोच-सोचकर)
गले का फास हैं हमारा प्यार उन सबके लिए
जिन्हें मालूमात हो गया
जनाब ये इश्क हैं कुछ और नही.
हम तुमपे न मरते तो मरता कोई और
फिर जान निकलती मेरी
जब-जब प्यार से तकरार करता वो.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
सोमवार, 28 जनवरी 2019
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